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- 31 August 2024,
- (अपडेटेड 31 अगस्त 2024, 03:26 AM)
रेल सूचना प्रणाली केंद्र (क्रिस) के एमडी जी वी एल सत्या कुमार ने कहा कि क्रिस प्रतिभावान आईटी पेशेवरों और अनुभवी रेल कर्मचारियों का एक अनोखा संयोजन है जो इसे आधारभूत क्षेत्रों में अत्यधिक सफलता सहित जटिल रेल आईटी प्रणालियां प्रदान करने में सक्षम बनाता है.
रेलवे माल ढुलाई, सिग्नलिंग, रेलवे आरक्षण से संबंधित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा विज्ञान के क्षेत्र में शोधार्थियों और छात्रो द्वारा किये जा रहे अनुसंधान एंव परियोजनाओं पर चर्चा करने के लिए आज रेलवे मंत्रालय के रेल सूचना प्रणाली केंद (क्रिस) के एमडी जी वी एल सत्या कुमार ने किया एमिटी विश्वविद्यालय का दौरा किया.
इस अवसर पर कुमार के साथ एमडी की टेक्निकल सलाहकार पूनम कुमारी साहा, वरिष्ठ प्रोजेक्ट इंजीनियर पितांबर वर्मा और प्रिसिंपल प्रोजेक्ट इंजीनियर अंकुर रस्तोगी भी शामिल थे. इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी विश्वविद्यालय के ट्रांसशेनल रिसर्च एंड एंटप्रिन्यौरशिप डेवलपमेंट के डीन डा बी के मूर्ती ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया.
रेलवे मंत्रालय के रेल सूचना प्रणाली केंद्र (क्रिस) के एमडी जी वी एल सत्या कुमार ने कहा कि क्रिस प्रतिभावान आईटी पेशेवरों और अनुभवी रेल कर्मचारियों का एक अनोखा संयोजन है जो इसे आधारभूत क्षेत्रों में अत्यधिक सफलता सहित जटिल रेल आईटी प्रणालियां प्रदान करने में सक्षम बनाता है. अपनी शुरुआत से ही क्रिस भारतीय रेल के टिकट प्रणाली, माल यातायात सेवाएं, परिचालन, परिसंपत्ति प्रबंधन आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए सॉफ्टवेयर विकसित और उनकी देखरेख कर रहा है.
कुमार ने कहा कि भारतीय रेलवे विश्व का चतुर्थ सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है जिसमें हर लोग 22 मिलियन लोग हर दिन यात्रा कर रहे है. आधुनिक नई प्रौद्योगिकियों की क्षमता को समझते हुए, क्रिस गाड़ी मार्ग ईष्टतमीकरण, क्षमता आवर्धन, गाड़ी देरी का अनुमान लगाना और प्रतीक्षा सूची समाप्त करना, रेल परिसंपत्तियों का भविष्यिक अनुरक्षण, ऊर्जा उपभोग का अनुमान लगाना, समय-सारणी आदि निष्पादित करने के लिए ब्लॉकचेन, आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, बिगडेटा, बिजनस इंटेलीजेन्स, क्लाऊड सेवाओं (निजी के साथ-साथ सार्वजनिक क्लाऊड), एजिलिटी, चैटबॉट्स, आईओटी आदि जैसी भावी नई प्रौद्योगिकियों को शामिल कर रही है. उन्होनें शोधार्थियों और वैज्ञानिकों आ रही चुनौतियों और समस्याओं की जानकारी दी और इसके निवारण हेतु शोध करने के लिए प्रेरित किया.
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि हम अुनंसधान आधारित शिक्षण - प्रशिक्षण कार्यक्रम को बढ़ावा देते है इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रमों से शोधार्थियों और वैज्ञानिकों को क्षेत्र में आ रही वास्तविक समस्याओं से अवगत कराके उसके निवारण हेतु प्रेरित किया जाता है. वर्तमान समय में समस्या निवारण कौशल ही सफल बनने से सबसे अधिक सहायक है हम शोधार्थियों को शोध व नवाचार के अवसरों को प्रदान करते है.
एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूती ने एमिटी शिक्षण समूह के शोधार्थियों और वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधान, पेटेंट, तकनीकी हस्तातंरण आदि की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई. उन्होनें कहा कि प्रतिनिधिमंडल के भ्रमण से आपको अनुसंधान के नये विषय और प्रोजेक्ट के अवसर प्राप्त होगें.
एमिटी विश्वविद्यालय के ट्रांसशेनल रिसर्च एंड एंटप्रिन्यौरशिप डेवलपमेंट के डीन डा बी के मूर्ती ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल के भ्रमण सहित आपसी सहयोग संभावनाओं पर विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम में स्टूडेंट रिसर्च के डीन डा एम के दत्ता और इंजिनियरिंग एंड टेक्नेालॉजी के डिप्टी डीन डा के एम सोनी भी उपस्थित थे.