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ग्रेटर नोएडा: पूर्व मंत्री डीपी यादव ने दी श्रद्धांजलि, ध्यान सिंह भाटी के पैतृक गांव बिसरख पहुंचे

डीपी यादव ने कहा, "यह परिवार सिर्फ बिसरख ब्लॉक का नहीं, बल्कि पूरे गुर्जर समाज का एक प्रमुख घराना रहा है. महेंद्र भाटी और नरेंद्र भाटी जैसे जाने-माने नेताओं का संबंध इस घराने से रहा है.

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  • 4 November 2024,
  • (अपडेटेड 4 नवंबर 2024, 11:14 PM)

पूर्व मंत्री डीपी यादव अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ गुर्जर समाज के प्रतिष्ठित नेता ध्यान सिंह भाटी को श्रद्धांजलि देने उनके पैतृक गांव बिसरख पहुंचे. ध्यान सिंह भाटी, जो कि पूर्व प्रमुख चौधरी जगत सिंह के पुत्र थे, उनके निधन पर डीपी यादव ने गहरी संवेदना व्यक्त की. डीपी यादव ने बिसरख गांव में भाटी और गुर्जर समाज के प्रमुख व्यक्तियों से मुलाकात की और इस दुःख की घड़ी में परिवार के प्रति अपना समर्थन जताया.

डीपी यादव ने मीडिया से बातचीत में भाटी परिवार की प्रशंसा करते हुए कहा, "यह परिवार सिर्फ बिसरख ब्लॉक का नहीं, बल्कि पूरे गुर्जर समाज का एक प्रमुख घराना रहा है. महेंद्र भाटी और नरेंद्र भाटी जैसे जाने-माने नेताओं का संबंध इस घराने से रहा है. गुर्जर समाज के प्रसिद्ध गांव दुजाना का भी इस परिवार से गहरा संबंध रहा है. दुजाना गांव चौधरी छूग्गु सिंह, तेगा प्रधान सुन्दर सिंह जैसे गुर्जर समाज के प्रतिष्ठित लोगों का हाथी नशीन गांव है, यह गांव उस वक्त से प्रसिद्ध है जब यहां चौधरी चरण सिंह का आना हुआ था और यही से गुर्जर समाज की गहरी जड़ें जुड़ी हैं.

डीपी यादव की यादें जुड़ी हैं भाटी परिवार से

डीपी यादव ने अपनी राजनीतिक शुरुआत को याद करते हुए कहा कि उन्हें बिसरख ब्लॉक प्रमुख बनाने में गुर्जर समाज का बड़ा योगदान था. उन्होंने कहा, "उस समय मेरी न तो कोई राजनीतिक हैसियत थी और न ही ज्यादा वोट मैं सिर्फ ग्राम प्रधान था. उस समय यादव बिरादरी के केवल 07 वोट ही थे. इसके बावजूद गुर्जर समाज ने मुझे अपना ब्लॉक प्रमुख चुना, जो अपने आप में महत्वपूर्ण बात थी." बिसरख गांव में आज भाटी और गुर्जर समाज के प्रमुख लोगों में उनके प्रति सम्मान की भावना स्पष्ट रूप से देखने को मिली.

बिसरख ब्लॉक में आज भी है भाटी परिवार का दबदबा

डीपी यादव ने यह भी बताया कि वर्तमान में बिसरख ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख अमरीश भाटी हैं, जो कि इसी परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने कहा, "भाटी परिवार का गुर्जर समाज में आज भी विशेष स्थान है. यह परिवार गुर्जर समाज में प्रभावशाली और लोकप्रिय रहा है और इसी के चलते समाज में इसकी पकड़ और मजबूत होती जा रही है."

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