Star news
- 6 August 2024,
- (अपडेटेड 6 अगस्त 2024, 11:31 AM)
नोएडा के RTI कार्यकर्ता एवं समाजसेवी रंजन तोमर ने ब्यूरो से यह जानकारी मांगी थी कि सन 2014 से आज तक कितने तेंदुओं को शिकारियों से ज़िंदा छुड़ाया गया है. इस आरटीआई के जवाब में ब्यूरो ने कहा है कि इस अवधि में 14 जीवित तेंदुओं को बचाया गया.
देश में सरकारों के तमाम प्रयासों के बाद भी शिकारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. भले ही सख्ती के बाद शिकार के मामलों में कमी आई हो, लेकिन इन पर पूरी तरह ले लगाम लगाना अभी आसान नही। है. इस कड़ी में यह बात सामने आई है कि वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने जनवरी 2014 से अब तक कुल 14 जिंदा तेंदुए शिकारियों के चंगुल से छुड़ाए है.
दरअसल, नोएडा के RTI कार्यकर्ता एवं समाजसेवी रंजन तोमर ने ब्यूरो से यह जानकारी मांगी थी कि सन 2014 से आज तक कितने तेंदुओं को शिकारियों से ज़िंदा छुड़ाया गया है. इस आरटीआई के जवाब में ब्यूरो ने कहा है कि इस अवधि में 14 जीवित तेंदुओं को बचाया गया और 15 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया.
विलुप्तप्राय है तेंदुआ
बता दें कि तेंदुआ मूल रूप से अफ़्रीका और दक्षिण एशिया में पाया जाना वाला स्तनधारी जीव है. दुनिया की 37 वन्य बिल्ली जातियों में से सबसे सफल वन्य बिड़ाल के रूप में प्रसिद्ध तेंदुए ने विभिन्न वास स्थलों में निवास करने और मनुष्य के साथ रहने के लिए अपने आपको ढाल लिया है. वह बहुत ही चालाक, रहस्यमयी, मौक़ापरस्त और फुर्तीला रात्रिचर परभक्षी है, जो छोटे वन्य जीवों और पालतू पशुओं का शिकार करता है. चूंकि उसके आहार बनने वाले जीव गांवों और कस्बों के बाहरी इलाकों में अधिक पाए जाते हैं, वह भी गांवों और कस्बों के इर्द-गिर्द मंडराता रहता है. वह अपने शिकार को मुंह में दबाए आसानी से पेड़ पर चढ़ सकता है.
तेंदुओं की बहुत सी उपप्रजातियां विशेषकर एशिया में, विलुप्ती के कगार पर हैं. अन्य बड़ी बिल्लियों की तुलना में तेंदुए सबसे बड़े क्षेत्रों में रहते हैं और इस कारण इनकी बहुत सी उपप्रजातियां पाई जाती हैं. लेकिन एशिया में इनकी कई उपप्रजातियां लुप्त हो चुकी है, जैसे कि होंग कोंग, लीबिया, ट्यूनीसिया, कुवैत, सिंगापूर और मोररको से, जो बहुत चिंताजनक मुद्दा है..