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- 23 August 2024,
- (अपडेटेड 23 अगस्त 2024, 05:54 AM)
कैब चालक ने गैर-व्यावसायिक नंबरप्लेट का उपयोग करके सेवाएं देने वाली बाइक टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. वहीं लोगों ने कैब मिलने में देरी और रद्द होने की शिकायत करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.
दिल्ली-एनसीआर में यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि टैक्सी और ऑटोरिक्शा चालकों ने कैब एग्रीगेटर सेवाओं से बेहतर किराए की मांग को लेकर गुरुवार को दो दिवसीय (22-23 अगस्त) हड़ताल शुरू कर दी. कुछ जगहों पर, कैब चालकों और ऑटोरिक्शा चालकों को धमकाया गया और यात्रियों को उतारने के लिए कहा गया. टैक्सी और ऑटो यूनियनों ने कहा कि अपर्याप्त मुआवजे के साथ-साथ एग्रीगेटर्स द्वारा बाइक टैक्सी सेवाएं शुरू करने से उनकी आजीविका प्रभावित हुई है.
दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन (डीएटीटीसीयू) के अध्यक्ष किशन वर्मा ने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में 80 प्रतिशत ऑटोरिक्शा और टैक्सियाँ सड़कों से नदारद हैं और उन्होंने कहा कि लगभग 14 यूनियनें विरोध प्रदर्शन में भाग ले रही हैं.
कैब चालक अनिल प्रधान ने गैर-व्यावसायिक नंबरप्लेट का उपयोग करके सेवाएं देने वाली बाइक टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. उन्होंने कहा, "सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और गैर-व्यावसायिक नंबरप्लेट वाले वाहनों के व्यावसायिक संचालन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. इससे गुजारा करना मुश्किल हो रहा है."
एक अन्य कैब ड्राइवर आदर्श तिवारी ने कहा, "कंपनियां हमें हमारी सेवाओं के लिए बहुत कम दर प्रदान करती हैं. इस वजह से हम अपने वाहनों की किस्तें नहीं भर पा रहे हैं और अन्य खर्चे भी नहीं उठा पा रहे हैं. हम अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा और अपने परिवारों के लिए पर्याप्त भोजन सुनिश्चित करने में असमर्थ हैं."
यात्रियों ने सोशल मीडिया पर बयां किया दर्द
लोगों ने कैब मिलने में देरी और रद्द होने की शिकायत करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया. एक एक्स यूजर क्षितिज अग्रवाल ने कहा, "क्या यह केवल मैं ही हूं या उबर अब काम नहीं करता? साउथ एक्सटेंशन, नई दिल्ली जैसे पॉश इलाकों में भी आजकल 30 मिनट के लिए उबर कैब नहीं मिल पा रही है #उबर #ओला."
मीडिया प्रोफेशनल मानसी पांडे ने कहा कि हड़ताल में भाग नहीं लेने वाले ऑटोरिक्शा चालकों को धमकाया जा रहा है. उन्होंने लिखा, "मैं अपने घर से अपने कार्यस्थल की ओर जा रही थी और ईस्ट ऑफ कैलाश के पास एक ऑटो लिया. पहले तो ऑटो मिलना मुश्किल था, लेकिन जब मुझे एक मिला, तो ड्राइवर ने ज़्यादा किराया मांगा. चूंकि मुझे देर हो रही थी, इसलिए मैं ज़्यादा किराया देने के लिए तैयार हो गई, लेकिन जब हम कुछ मीटर आगे पहुंचे, तो करीब पांच से 10 लोगों ने ऑटो रोक दिया और मुझे बाहर निकलने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि आज हड़ताल है. उन्होंने ड्राइवर को चेतावनी दी कि अगर वह गाड़ी चलाता रहा, तो वे उसके ऑटो को नुकसान पहुंचा देंगे."
छात्रा अनन्या तिवारी ने कहा कि उसे उबर और रैपिडो पर ऑटोरिक्शा नहीं मिल पाया. उन्होंने लिखा, "आमतौर पर, मुझे इन ऐप पर दो मिनट के भीतर ऑटो मिल जाता है, लेकिन आज सवारी मिलना मुश्किल था. आमतौर पर 100-110 रुपये के आसपास रहने वाला किराया भी अधिक था और मुझे कई बार रद्द करने के बाद ही ऑटोरिक्शा मिला और वह भी 140 रुपये में."
ऑटो रिक्शा संघ ने लगाए आरोप
दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के महासचिव राजेंद्र सोनी ने आरोप लगाया कि ड्राइवरों को धमकाया जा रहा है. उनका संघ हड़ताल का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा, "कई ड्राइवर हड़ताल का हिस्सा नहीं हैं. हमें ऐसे मामले देखने को मिले हैं, जहां रेलवे स्टेशनों और बस स्टॉप के बाहर ड्राइवरों को धमकाया जा रहा है. हम मांग करते हैं कि पुलिस इन जगहों के बाहर निगरानी बढ़ाए. यह यात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ ड्राइवर की सुरक्षा का भी मामला है." कैब एग्रीगेटर के ऑटोरिक्शा ड्राइवर राकेश ने कहा कि वह रेलवे स्टेशनों और बस टर्मिनलों से सवारी लेने से बच रहे हैं, क्योंकि वहां हिंसा का खतरा है."