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Elephant Rescue Mission: 2030 तक भारत में 300 भीख मांगने वाले हाथी होंगे मुक्त! Wildlife SOS का महत्वाकांक्षी अभियान शुरू

आमतौर पर छोटे बच्चे के रूप में जंगल से पकड़ कर अपने झुंड से अलग कर दिए गए इन हाथियों को 'भीख मांगने वाले' हाथियों के रूप में जाना जाता है.

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  • 2 February 2025,
  • (अपडेटेड 2 फ़रवरी 2025, 12:52 PM)

दो साल पहले वाइल्डलाइफ एसओएस को मोती नाम के एक भीख मांगने वाले हाथी की मदद के लिए आपातकालीन कॉल आई, जो दुखद रूप से गिर गया था. कई हफ्तों के दौरान, हाथी को बचाने के लिए अनगिनत प्रयास किये गए, जिसमें भारतीय सेना ने भी योगदान दिया. अफसोस की बात है कि मोती को बचाया नहीं जा सका, लेकिन यह स्पष्ट था कि अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो ऐसे ही कई और हाथियों की मौतें होंगी. इस ही बात को ध्यान में रखते हुए वाइल्डलाइफ एसओएस 2030 तक सभी भीख मांगने वाले हाथियों को बचाने के लिए एक अभियान शुरू कर रहा है.

अक्सर अवैध रूप से और उचित कागजी कार्रवाई के बिना, अनुमानित 300 हाथियों को पैसा कमाने के उद्देश्य से देश की सड़कों पर चलने के लिए मजबूर किया जाता है. कुपोषित और दुर्बल इन हाथियों को और इनकी पीड़ा को अक्सर लोगों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है. आमतौर पर छोटे बच्चे के रूप में जंगल से पकड़ कर अपने झुंड से अलग कर दिए गए इन हाथियों को 'भीख मांगने वाले' हाथियों के रूप में जाना जाता है. बुद्धिमान और सामाजिक जानवर यह हाथी नेत्रहीन, एकान्त जीवन और गंभीर चोटों के साथ अपना जीवन जीते हैं. इन्हें करतब दिखाने, आशीर्वाद देने या सवारी कराने और समारोहों और त्योहारों में देखा जा सकता है.

वाइल्डलाइफ एसओएस को भारत के पहले समर्पित हाथी अस्पताल के निर्माण के साथ-साथ 'नृत्य' भालू की सदियों पुरानी प्रथा को समाप्त करने के लिए जाना जाता है. 40 से अधिक हाथियों को बचाने के बाद, उनकी विशेषज्ञता अब भारत में भीख माँगने वाले हाथियों की ओर निर्देशित है.

निक्की शार्प, कार्यकारी निदेशक यूएसए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने बताया, “हालांकि हम हाथियों के इलाज पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन शिक्षा भी हमारे मुख्य उद्देश्यों में से एक है, जहां हम दुनिया भर के विशेषज्ञों को एक साथ लाते हैं. हम पशु चिकित्सा कॉलेजों के साथ काम करते हैं, इन जानवरों की देखभाल करने वालों को प्रशिक्षित करते हैं और वन विभाग के अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं.”

संस्था का यह भीख मांगने वाले हाथियों की मदद के लिए चलाया गया अभियान पांच चरण में विभाजित है:

1. रेस्क्यू- हाथियों को सड़कों से हटाकर हमारे जैसे बचाव केंद्रों में ले जाना, जहां उनकी उचित देखभाल की जाएगी.

2. आउटरीच- वर्तमान में सड़कों पर मौजूद हाथियों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करना. हमारा मानना है कि हाथियों को उनकी पीड़ा से राहत देने के लिए उनके बचाए जाने तक इंतजार नहीं करना चाहिए.

3. रोकथाम- कानून प्रवर्तन और अवैध शिकार विरोधी कार्यक्रमों का समर्थन करके और अधिक हाथियों को सड़कों पर आने से रोकना.

4. शिक्षा- इन हाथियों की पीड़ा के बारे में सामुदायिक जागरूकता पैदा करना और उनके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आवश्यकताओं के बारे में बताना.

5. प्रशिक्षण- हाथियों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए पशु चिकित्सकों को आधुनिक कौशल सिखाने पर ध्यान केंद्रित करना.

आम जनता वाइल्डलाइफ एसओएस की एलीफैंट हेल्पलाइन (+91 9971699727) पर भीख मांगते हाथी की सूचना देकर इसमें शामिल हो सकते हैं या फिर https://action.wildlifesos.org/page/162957/petition/1?ea.tracking.id=Website_Button पर साइन कर सकते हैं. वे ऊपर दिए गए नंबर पर टेक्स्ट या व्हाट्सएप टिप्स छोड़ सकते हैं, और उसके साथ ही एक ध्वनि संदेश जोड़ सकते हैं.

अभियान की आवश्यकता के बारे में बताते हुए, वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “मोती की कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली थी, फिर भी बहुत आम थी. इन भीख मांगते हाथियों की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, हमने पांच-चरणीय दृष्टिकोण के साथ इस महत्वाकांक्षी अभियान को शुरू करने का निर्णय लिया. हमें यह सुनिश्चित करना है कि मोती जैसे हाथियों को खराब स्थितियों में कष्ट न सहना पड़े.

बैजूराज एम.वी., डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस ने कहा, “वाइल्डलाइफ एसओएस ने प्रशिक्षण और संरक्षण के लिए, विशेष रूप से हाथियों के लिए एक अस्पताल का निर्माण और हाथी एम्बुलेंस डिजाइन करने जैसी मानवीय हाथी प्रबंधन तकनीकों का प्रदर्शन किया है. यह अभियान बंदी हाथियों की पीड़ा को समाप्त करने के हमारे दृष्टिकोण के लिए एक सहायक कदम साबित होगा.”