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नोएडा: एमिटी यूनिवर्सिटी में लीडरशिप टॉक का आयोजन, ‘अंतरिक्ष अनुसंधान में भविष्य की दिशा’ पर हुई चर्चा

इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डा एम एस प्रसाद और इंजिनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डिप्टी डीन डा के एम सोनी ने अतिथियों का स्वागत किया.

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  • 2 September 2024,
  • (अपडेटेड 2 सितंबर 2024, 03:48 PM)

एमिटी यूनिवर्सिटी के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के उपलक्ष में ‘अंतरिक्ष अनुसंधान में भविष्य की दिशा’ पर लीडरशिप टॉक का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मिसाइल एंड स्ट्रैटजिक सिस्टम के महानिदेशक डा यू राजा बाबू, इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए) के निदेशक विंग कमांडर सत्यम कुशवाहा, डीआरडीओ के टीडीएफ के एडिशनल डायरेक्टर अर्जुन कुमार, डीएसओ के गु्रप कैप्टन विष्णु वाजपेयी और जॉनेट टेक्नोलॉजीस के सीईओ जॉन लिविंगस्टोन ने अपने विचार रखे. 

इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डा एम एस प्रसाद और इंजिनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डिप्टी डीन डा के एम सोनी ने अतिथियों का स्वागत किया. 

मिसाइल एंड स्ट्रैटजिक सिस्टम के महानिदेशक डा यू राजा बाबू ने कहा कि मानव मन में सदैव अंतरिक्ष को लेकर उत्सुकता और ज्ञिज्ञासा बनी रही है हम आसमान की तरफ देखते है और तारो के विश्व में नई संभावनाओं को तलाशते है. डा बाबू ने कहा कि अंतरिक्ष में बढ़ते कदमों ने हमारी जानकारी को बढ़ाया है. हमने अन्य ग्रहों के वातावरण और गैलेक्सी को भी समझा है. वर्तमान युग अंतरिक्ष का युग है और सैटेलाइट लगभग हर क्षेत्र पर्यावरण, नैविगेशन, सुरक्षा और डिफेंस आदि में सहायक हो रही है. कई देश ना केवल सुरक्षा हेतु बल्कि युद्ध में सैटेलाइट का उपयोग कर रहे है जिसका उदाहरण रशिया और युक्रेन का युद्ध है. 

उन्होंने कहा कि आज अंतरिक्ष अनुसंधान सबसे महत्वपूर्ण विषयों में है जिसमें युवाओं की रूचि बढ़ रही है और सबसे अधिक शोधकर्ता अकादमिक क्षेत्र से आ रहै है, अनुसंधान के लिए सरकार और निजी क्षेत्रों द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है. स्पेस वाहन की लंाचिग और कक्षीय मलबा को कम करने के लिए इसरों द्वारा निगरानी की जा रही है, अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्रो में कार्य करने वाले छात्रों को इन विषयों पर कार्य करना चाहिए. अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को सफल बनाने के लिए हम सभी का योगदान आवश्यक है.

आईएसपीए के निदेशक विंग कमांडर सत्यम कुशवाहा ने कहा कि इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए) को भारत मे निजी अंतरिक्ष उद्योग के सफल सहयोगात्मक विकास के लिए स्थापित किया गया है. हम पूरे भारतीय अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र के सभी हितधारकों के बीच अंतरिक्ष से संबधित जानकारी, सूचना और प्रौद्योगिकी के आदान प्रदान के लिए कार्य करते है ताकि भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी बनाया जा सके. देश वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यस्था में तेजी से आगे बढ रहा है और तकनीक अनुंसधान ही सफलता का मुख्य मंत्र है.

डीआरडीओ के टीडीएफ के एडिशनल डायरेक्टर श्री अर्जुन कुमार ने कहा कि किसी भी अनुसंधान, प्रोजेक्ट के लिए वित्त सहायता एक महत्वपूर्ण आधार होता है. देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने हेतु टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड की स्थापना की गई है. डीआरडीओ द्वारा रक्षा डत्पादन, सेनाओं की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए क्रियान्वित किया जाता है. डीआरडीओं, अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में तकनीकी के विकास के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डा एम एस प्रसाद ने कहा कि एमिटी, इसरो व अन्य सरकारी एंजेसियों द्वारा संचालित किये जा अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करके राष्ट्र निर्माण में सहयोग दे रहा है. आज चंद्रमा में रॉकेट का लैंड करना और अंतरिक्ष में एक उपलब्धि पृथ्वी पर लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है. एमिटी, अंतरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करने वाले कुशल मानव संसाधन तैयार कर रही है और भारत में चल रहे अंतरिक्ष योजना कार्यक्रमों में सहभागीता दे रही है.

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